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अक्षय तृतीया विशेष : जानें भगवान परशुराम से सम्बंधित कुछ ऐतिहासिक बाते


जनकपुर से लौटते समय भगवान परशुराम ने सोहनाग में किया था तप



हिन्दू पंचाग के अनुसार बैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है इसी दिन भगवान विष्णु का अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था 



पूर्वी उत्तर प्रदेश में देवरिया जनपद में सलेमपुर तहसील के सटे सोहनाग धाम है जहाँ ऋषि परशुराम जनकपुर से लौटते समय रात्रि बिश्राम किया और तप साधना भी किये थे।तभी से इस स्थान का धार्मिक व पौराणिक महत्व बढ़ गया था यहाँ अक्षय तृतीया के दिन से मेला लगता है यहाँ बिहार,झारखंड, मध्यप्रदेश, क्षतिसगढ़, व नेपाल से भी लोगों आना होता रहता है



सोहनाग धाम देवरिया मुख्यालय से लगभग 35 किलो मीटर दूर है कहा जाता है की यहाँ बहुत घना जंगल था त्रेतायुग में भगवान श्रीराम जब जनकपुर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा तो भगवान परशुराम ने वायु मार्ग से जनक पुर पहुच गए थे जनकपुर में भगवान परशुराम और लक्ष्मण जी मे संबाद भी हुआ था।उसके बाद जनकपुर से लौटते समय सलेमपुर के निकट सोहनाग स्थित जंगल को देख रात्रि विश्राम के लिए रुक गए।जंगल व प्राकृतिक हवा को देख आकर्षित हुए उसके बाद काफी दिनों तक सोहनाग जंगल में तप किया ।रोग नाशी सरोवर सोहनाग में भगवान शिव भक्त परशुराम मंदिर के बगल में लगभग10 एकड़ भूमि का सरोवर है जिसका महत्व धार्मिक है मानना है कि कई वर्ष पूर्व नेपाल के राजा सोहन तीर्थाटन को निकले थे और वे इसी पे विश्राम भी किये थे राजा सरोवर को देख प्रसन्न होकर जल पीने गए सरोवर के जल से शरीर स्पर्श हुआ तो उनका कुष्ठ रोग धीरे धीरे समाप्त हो गया ।उसके बाद वे आश्चर्य चकित होकर पोखरे की खुदाई कराई जिसमें भगवान परशुराम उनकी माता रेणुका,पिता जमदग्नि,भगवान विष्णु की पत्थर की मूर्ति मिली तो राजा ने मंदिर का निर्माण कराया ।इस स्थान का नाम राजा सोहन के चलते सोहनाग हो गया।


 


 


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(राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका)


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